एक दौड़ सी लगी रहती है जीने में एक आग सी बनी रहती है सीने में क्यों किसी आस के पीछे हमेशा भागता हूँ क्यों अपनी प्यास में किसी को तलाशता हूँ एक प्यास पूरी होती है , सकून मिलता है फिर एक और प्यास को , जनम मिलता है इस भगन्दर को , कब तक भगाएगा इस समंदर को , कब तक फेहलायेगा यह में समझ गया , तेरा कोई कारण है और मेरी बैचनी , अ-कारण है तेरी ख़ुशी में , मेरी ख़ुशी हो तेरी रज़ा में , मेरा माज़ा हो ऐसी शख्शियत , मुझे बना दे मौला ऐसी मिलकियत , मुझे दिला दे मौला हर प्यास में , तेरा नाम हो हर आस में , तेरा काम हो हर ताज में , तेरा सकून मिले हर साज में , तेरा सुर सजे अब हर आस , हर प्यास तू है अब हर आस , हर प्यास तू है तू ही तू है , तू ही तू है , तू ही तू है ---विशाल Since birth, we are accustomed to run after our desires. Desire re...
तुझे देख वही , रुक जाता हूँ तुझे देख वही , रुक जाता हूँ आखें बंद करता हूँ , तुझे पाता हूँ अब तू कहे , इसमें मेरा क्या कसूर अब तू कहे , इसमें मेरा क्या कसूर एक तरफ चाहत में , यही है दस्तूर यह जनता हूँ , तुझे पाना मुश्किल है यह जनता हूँ , तुझे पाना मुश्किल है लेकिन तेरी एक , नज़र तो मुमकिन है अब तो कहानी , आगे बढ़ गयी अब तो कहानी , आगे बढ़ गयी तुझे न देख , हालत बावलो सी हो गयी मेरा हाल देख , तू बेहाल न हो जाये मेरा हाल देख , तू बेहाल न हो जाये इस ख्याल से , अपना ख्याल रखता हूँ तेरी एक नज़र को , खुदाई बना चला हूँ तेरी एक नज़र को , खुदाई बना चला हूँ तेरी एक झलक को , रिहाई बना चला हूँ यह हो न हो , इश्क़ इसे ही कहते है यह हो न हो , इश्क़ इसे ही कहते है तू हो न हो , खुदा तुझे ही कहते है --विशाल